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माँ की स्लेट से

ईश्वर भक्ति हमेशा अकेले करनी चाहिए. जब हाथ में एक से दो चूड़ी पहनते हैं तो वे आपस में आवाज करती हैं - इसलिए देखो मैंने एक-एक चूड़ी पहनी है. टकराने की बात ही खत्म.
भगवान का नाम ही सत् है. जैसी उसकी इच्छा हो वही होता है, उस पर भरोसा रखो. जीवन - यात्रा निभानी है, जो करे उसी में खुश रहना चाहिए. उसके लिए तड़प होनी चाहिए.
गुरु पर श्रद्धा हो तो सब कार्य आसान हो जाते हैं. सब कुछ देने वाले वही(गुरु) हैं. गुरु-कृपा से सामान्य व्यक्ति भी कंचन बन जाता है. संसार की वस्तुओं के लिए नहीं, ईश्वर के लिए तड़प होने से ईश्वर अवश्य मिल जाते हैं.
प्रतिदिन 'रामचरित्मानस' के कम से कम 5 दोहे पढ़ा करो. तुम्हारी हिन्दी शुद्ध हो जाएगी. चाहे एम.ए. पढ़ लो पर हिन्दी तो रामायण पढ़ने से ही सुधरेगी. सच्चा भरोसा उसी (भगवान) का है, वे बड़े दयालु हैं, वे जो करते हैं भला ही करते हैं. उन्हीं का नाम पक्का सहारा है बांकी संसार के नाते स्वार्थ के नाते हैं.
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